पेट कम करने के योग और आसन

योग आत्‍मोपलब्धि का सबसे सहज व वैज्ञानिक प्रक्रिया है। योग का अर्थ होता जोड़ अर्थात्‌ आत्‍मा से परमात्‍मा के मिलन को योग कहते हैं। यह इसका अर्थ विस्‍तार है। लेकिन छोटे और स्‍थूल अर्थों में कहा जाए तो योग स्‍वास्‍थ्‍य का संरक्षक है। पहले यौगिक क्रियाएं आत्‍मोपलब्धि के लिए ही की जाती थीं और वह भी कुछ गिने-चुने लोगों तक सीमित थीं लेकिन योग गुरु स्‍वामी रामदेव ने इसे आम जनमानस से जोड़ा और सर्वसुलभ बनाया। साथ ही योग से स्‍वास्‍थ्‍य के रिश्‍ते को बड़ी ही सहज भाषा में व्‍याख्‍यायित किया। इसके साथ उन्‍होंने योगासनों और प्राणायाम के प्रयोग भी कराए।
आज बहुतेरे लोग ऐसे मिल जाएंगे जो एलोपैथ, होम्‍योपैथ आदि चिकित्‍सा पद्धतियों के दरवाज़े पर बड़ी उम्‍मीद के साथ गए थे लेकिन वहां उन्‍हें निराशा हाथ लगी, तब उन्‍होंने योग का दरवाज़ा खटखटाया और योग ने उन्‍हें संबल प्रदान किया। उनमें से ज़्यादातर लोग योग के जरिये या तो बीमारियों से मुक्ति पा चुके हैं या मुक्ति पाने की दिशा में अग्रसर हैं।
पेट कम करने के योग

पेट कम करने के योग

योग हमें संपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य प्रदान करता है। इसके बहुत से आयाम व लाभ हैं लेकिन आज हम आपको मोटापा घटाने और पेट कम करने के योग बताने जा रहे हैं। इनका प्रयोग करने से वज़न तेज़ी से घटेगा और पेट की चर्बी कम होने लगेगी। लेकिन इसके साथ आहार को संतुलित व नियमित रखना ज़रूरी है। बेहतर तो यही है कि किसी योग्‍य योगाचार्य की देखरेख में ही योगासनों का प्रयोग करें, विशेष तौर से तब जब आप घुटने व कमर के दर्द से परेशान हों या आपका ब्‍लड प्रेशर बढ़ा हुआ हो।

१. कपालभांति प्राणायाम

कपाल का अर्थ होता है ललाट और भांति का अर्थ ज्‍योति है। अर्थात्‌ इस प्राणायाम को करने से ललाट प्रकाशवान रहता है, चमकता रहता है जो स्‍वस्‍थ व प्रसन्‍न होने का लक्षण है। कपालभांति प्राणायाम हमें सबसे अधिक प्राणु वायु प्रदान करता है। यह शरीर के विषैले तत्‍वों विशेषकर कार्बनडाइऑक्‍साइड को बाहर निकालकर शरीर में पर्याप्‍त मात्रा में ऑक्‍सीजन पहुंचा देता है। आप जानते हैं कि शरीर में जितना अधिक कार्बनडाइऑक्‍साइड होता है, उतना ही अधिक हमारे बीमार पड़ने की आशंका बलवती होती है और जितना अधिक ऑक्‍सीजन होता है और कार्बनडाइऑक्‍साइड कम होता है, उतना ही अधिक हम स्‍वस्‍थ रहते हैं।
kapalbhati yoga

कपालभांति प्राणायाम की प्रयोग विधि

स्‍वच्‍छ वातावरण में जहां शुद्ध हवा मिलती हो, एक साफ़-सुथरी व समतल जगह चुन लें। वहां कपड़ा, दरी या चटाई बिछाकर किसी भी आसन में सुखपूर्वक बैठ जाएं। पेट को ढीला छोड़ दें। मुंह बंद रखें और नाक से सांस को बाहर फेंके। इस क्रिया में पेट अपने आप अंदर की तरफ़ खिंच जाता है और सांस अपने आप शरीर ले लेता है। इसलिए न तो पेट अंदर की तरफ़ खींचने पर ध्‍यान दें और न ही सांस लेने पर। ये दोनों क्रियाएं अपने आप होती हैं। केवल सांस बाहर फेंकते जाएं। यह प्रयोग एक से लेकर पंद्रह मिनट तक अपनी सुविधा के अनुसार करें।

कपालभांति प्राणायाम के लाभ

– शरीर को पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन मिल जाता है जिससे मन हमेशा प्रसन्‍न व स्‍वस्‍थ रहता है।
– मोटापा कम होता है और पेट की चर्बी घटने लगती है।
– ललाट व चेहरे पर चमक आ जाती है, झुर्रियां व आंख के नीचे का कालापन विदा होने लगता है।
– पेट साफ़ होता है, गैस, कब्‍ज व एसिडिटी की बीमारी विदा हो जाती है।
– यह शरीर की सफ़ाई भी करता है, चूंकि इसे करते समय पसीना बहुत अधिक होता है, इससे शरीर की गंदगी साफ़ हो जाती है।
– इससे यादाश्‍त बढ़ती है और विचार व सोच सकारात्‍मक होने लगती है।
– कोलेस्‍ट्राल कम होता है और शरीर में रक्‍त धमनियों की कार्य क्षमता में वृ‍द्धि होती है।
– श्‍वांस नली की सफाई हो जाती है जिससे कफ विकार नष्‍ट होते हैं।

सावधानियां

– कपालभांति प्राणायाम शुद्ध हवा में खाली पेट करना चाहिए।
– सुबह पेट साफ़ न हुआ तो भी इसे करने से बचें क्‍योंकि अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाएगा।
– भोजन करने के बाद कम से कम पांच घंटे बाद ही प्राणायाम का प्रयोग करना चाहिए।
– कपालभांति प्राणायाम का प्रयोग करने के बाद आधे घंटे तक कुछ ग्रहण नहीं करना चाहिए, यदि प्‍यास लगे तो पानी पी सकते हैं।
– हार्निया, गैस्टिक अल्‍सर, मिर्गी के रोगी व गर्भवती महिलाओं को इस प्राणायाम का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
– हाई ब्‍लडप्रेशर व हार्ट से संबंधित कोई बीमारी हो तो योग्‍य योगाचार्य की देखरेख में ही यह प्राणायाम करें।
– यदि यह प्राणायाम करते समय चक्‍कर आए, जी मिचलाए या कोई अन्‍य परेशानी हो तो किसी योगाचार्य या चिकित्‍सक की सलाह लेनी चाहिए।

२. अनुलोम-विलोम प्राणायाम

अनुलोम-विलोम प्राणायाम को नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहते हैं। यह प्राणायाम भी कपालभांति की तरह बहुत ही प्रभावी प्राणायाम है। सांस की बीमारियों के लिए तो यह रामबाण है। यह शरीर का तापमान भी नियंत्रित करता है। इसका प्रयोग करने के लिए शुद्ध हवा वाली जगह में साफ़-सुथरा समतल स्‍थान देखकर वहां कुछ बिछाकर सुखासन में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ के अंगूठे से नासिका के दाएं छिद्र को बंद कर लें और बाएं छिद्र से सांस भीतर खीचें। जब सांस भीतर भर जाए तो नासिका के बाएं छिद्र को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से दबाकर दायीं नासिका से अंगूठे को हटा दें और सांस दायीं नासिका से बाहर निकलने दें।
अब पुन: दायीं नासिका से सांस भरें, जब सांस भर जाए तो पुन: उसे अंगूठे से दबा दें और बायीं नासिका से दोनों अंगुलियां हटा लें और सांस बायीं नासिका से निकलने दें। इस क्रिया को तीन से लेकर दस मिनट तक करना चाहिए, इससे अधिक इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
anulom vilom pranayama yoga

अनुलोम-विलोम प्राणायाम के लाभ

– यह प्राणायाम नाड़ियों का शोधन करता है।
– शरीर में रक्‍त संचार सही होता है तथा पूरे शरीर में पर्याप्‍त मात्रा में ऑक्‍सीजन की आपूर्ति हो जाती है।
– कोलेस्‍ट्राल को नियंत्रित कर दिल से संबंधित बीमारियों को दूर रखता है।
– फेफड़े स्‍वस्‍थ रहते हैं और मधुमेह रोगियों को लाभ पहुंचाता है।
– यह प्राणायाम विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी है क्‍योंकि इसे करने से एकाग्रता, रचनात्‍मकता व धैर्य में वृद्धि होती है।
– इससे पेट की चर्बी कम होती है और वजन घटने लगता है।

३. सेतुबंध आसन

सेतुबंध का अर्थ पुल बांधना होता है। इस आसन में शरीर एक पुल की भांति बन जाता है।
इस आसन में पीठ के बल सीधा लेट जाएं और दोनों बाहों को शरीर के दोनों तरफ़ कमर तक फैला लें। हथेली ज़मीन की तरफ़ हो। अब दोनों टांगों को घुटने से मोड़कर कूल्‍हों के पास ले आएं। पैर के तलवे ज़मीन पर टिकाए रखें। अब सांस छोड़ते हुए रीढ़ की हड्डी को ऊपर की ओर खींचते हुए कमर को ज़मीन पर दबाएं। इसके बाद दोनों हथेलियों पर जोर देकर सांस अंदर की ओर लेते हुए कूल्‍हों को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ़ उठाएं। कूल्‍हों को जितना ऊपर ले जा सकते हैं, उतना ही ले जाएं, ज़बरदस्‍ती न करें। अब दोनों हथेलियों को आपस में मिलाकर कस लें। पांच से दस मिनट इस अवस्‍था में रहें। पुन: धीरे-धीरे पूर्व मुद्रा में आ जाएं। इसे दो तीन-बार दुहराएं अथवा जितना संभव हो उतना ही करें। जब आसन से बाहर आना हो तो विपरीत क्रम में ही बाहर आएं।
setu bandhasana

सेतुबंध आसन के लाभ

– सर्वाइकल व गर्दन के तनाव से मुक्ति मिलती है, रीढ़ व कमर की हड्डी मजबूत होती है, छाती की हड्डी में भी खिंचाव आता है। मेरुदंड लचीला बनता है और कमर दर्द में आराम मिलता है।
– जांघों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, पेट की चर्बी घटाने में मदद मिलती है।
– मन शांत व प्रसन्‍न होता है, तनाव व अवसाद दूर होते हैं।
– पेट की मां‍सपेशियों, फेफड़ों व थायरायड को सक्रिय करता है। पाचन क्रिया सही होती है। मोटापा कम होता है।
रजोनिवृत्ति के लक्षणों को दूर करने के साथ ही मासिक धर्म की परेशानियों से निजात मिलती है।
– दमा, हाई ब्‍लडप्रेशर, ऑस्टियोपोरोसिस, साइनाइटिस, चिंता, थकान, पीठ दर्द, सिर दर्द में राहत मिलती है तथा अनिद्रा की बीमारी दूर भागती है।

सावधानियां

– पीठ, गर्दन या कमर में चोट हो तो यह आसन न करें।
– यदि रक्‍तचाप बढ़ा हुआ हो तो भी किसी योग्‍य योगाचार्य से पूछकर ही इस आसन का प्रयोग करें।

४. बाल आसन

बाल का अर्थ बच्‍चा होता है। बाल आसन को जब संधि कर देते हैं तो बालासन हो जाता है। अधिकतर इन दोनों शब्‍दों को जोड़कर ही इसका प्रयोग किया जाता है। अपने नाम के अनुसार यह एक ऐसा आसन है जिसमें प्रशिक्षु बच्‍चों की तरह हो जाता है तथा इस आसन को बच्‍चे भी बहुत आसानी से कर सकते हैं। यह बिल्‍कुल आराम की मुद्रा है। इसे कभी भी किया जा सकता है। विशेषकर शीर्षासन के बाद तो ज़रूर किया जाता है।
balasana yoga
इस आसन का प्रयोग करने के लिए वज्रासन में बैठ जाएं। अब सांस अंदर लेते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर तक उठा लें लेकिन आपस में मिलाएं नहीं। अब सांस बाहर छोड़ते हुए आगे की ओर झुकते हुए सिर व हाथ ज़मीन पर टिका दें। ध्‍यान रहे कि कूल्‍हों के जोड़ों से आगे झुकें, कमर के जोड़ों से नहीं। ज़मीन से सिर टिका देने पर आप पूरी तरह आराम की मुद्रा में आ जाते हैं। इसी अवस्‍था में पड़े रहें और लंबी व गहरी सांस लेते-छोड़ते रहें। इसे पांच मिनट तक करें। इससे कम भी कर सकते हैं। अब दोनों हथेलियों को आपस में कसकर जोड़ लें और उसके बीच में सिर को रखकर उसे सहारा दें और सांस सामान्‍य होने दें।

बाल आसन के फायदे

– मोटापा व वज़न कम करने में यह आसन बहुत उपयोगी है। पेट की चर्बी कम होती है तथा पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
– मन शांत होता है और तनाव व अवसाद में राहत देता है।

५. साइकिलिंग आसन

साफ़-सुथरी, समतल व स्‍वच्‍छ वायु वाली जगह देखकर पीठ के बल सीधा लेट जाएं। दोनों हाथों को शरीर के अगल-बगल कमर तक फैला लें। अब दोनों पैरों को ऊपर उठाएं और साइकिल चलाने के अंदाज में हवा में पैडल मारें। यह क्रिया पहले थोड़ी देर सीधी और फिर उतनी ही देर उलटी दिशा में करें।
Air cycling yoga

साइकिलिंग के फ़ायदे

इसका पूरा फ़ायदा साइकिल चलाने जितना होता है। इससे मोटापा कम होता है, ब्‍लड सर्कुलेशन बढ़ता है, पेट की चर्बी घटने लगती है और पेट अंदर की तरफ़ जाने लगता है।

६. नौका आसन

नौका आसन या नौकासन में प्रशिक्षु बिल्‍कुल नौका के आकार में हो जाता है। सामान्‍य तौर पर पीठ के बल लेट जाएं। दोनों हाथों को कमर तक फैलाकर सीधा कर लें। दोनों पैरों के पंजों व एड़ियों को आपस में सटा लें। हथेलियों को ज़मीन पर रखते हुए गर्दन को सीधा करें। अब दोनों पैर, गर्दन व दोनों हाथों को एक सीध में ऊपर उठाएं। इस अवस्‍था में शरीर का पूरा भाग नितंब पर आएगा। 30 से 40 सेकेंड इसी अवस्‍था में रहें। इसके बाद धीरे-धीरे पूर्व अवस्‍था में आ जाएं और कुछ देर शवासन में लेटे रहें। इसे अपनी क्षमता और सुविधा के अनुसार चार-पांच बार किया जा सकता है।
Naukasana yoga

नौका आसन के फ़ायदे

– इस आसन के प्रयोग से पाचन क्रिया ठीक होती है।
– यह आसन छाती व बड़ी आंत के लिए फायदेमंद है।
– मोटापा कम करने और पेट अंदर करने में यह आसन अत्‍यंत लाभकारी है।
– इसके नियमित प्रयोग से हर्निया की बीमारी में भी लाभ होता है।

सावधानियां

– जिन्‍हें स्लिप डिस्‍क की समस्‍या हो, उन्‍हें नौका आसन नहीं करना चाहिए।
– पेट संबंधी गंभीर बीमारियों में इस आसन से बचना चाहिए।
– मेरुदंड में कड़ापन हो तो भी इस आसन को नहीं करना चाहिए।
– गर्भवती महिलाओं को इस आसन से दूर रहना चाहिए।
उपरोक्‍त सभी आसन व प्राणायाम जो बताए गए हैं, उन्‍हें योग्‍य प्रशिक्षक या योगाचार्य की देखरेख में ही करना बेहतर होता है। इन प्रयोगों को प्रतिदिन नियमित एक घंटा करना चाहिए। लगभग हर शहर में अनेक स्‍थानों पर पतंजलि योग समिति द्वारा नि:शुल्‍क योग शिविर चलाए जाते हैं। वहां भी जाकर योग्‍य प्रशिक्षक की देखरेख में इन प्रयोगों का लाभ लिया जा सकता है। साथ ही खान-पान संतुलित व नियमित हो तो इन प्रयोगों से आसानी से मोटापा कम होता है और पेट अंदर की तरफ़ चला जाता है। सभी आसन व प्राणायाम ख़ाली पेट, स्‍वच्‍छ वायु वाले स्‍थान में ही करना लाभकारी है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *