मासिक धर्म से जुड़े अंधविश्वास

Masik Dharma se Jude Andhvishwas: अक्सर जब छोटी सी गुड़िया बड़ी होकर बाल्यावस्था से किशोरावस्था में प्रवेश करती है तब उसमें कई शारीरिक परिवर्तन होते हैं। इन शारीरिक परिवर्तनों के कारण वो काफ़ी तनाव में रहती है और किसी से अपनी बात कहने में झिझकती भी है। इन्हीं परिवर्तनों में से एक परिवर्तन मासिक धर्म, मासिक चक्र, माहवारी या पीरियड्स का आना है। हमारे समाज में मासिक धर्म से जुड़े अंधविश्वास माने जाते हैं। आइए आज हम पीरियड और अन्धविश्वास पर चर्चा करते हैं।

जब महावारी या पीरियड्स आना शुरू होते हैं तो सबसे पहले माँ यही कहती है कि बिटिया इन दिनों मन्दिर नहीं जाते हैं। पूजा नहीं करते हैं। किचन में नहीं जाते हैं। अपनों से बड़ों को खाना बना कर नहीं देते हैं। अचार को नहीं छूते हैं। ज़्यादा खेलते कूदते नहीं हैं। यहाँ तक कि घर का कोई सदस्य तुम्हें छू नहीं सकता और न ही तुम किसी सदस्य को छू सकती हो। सोने के लिए अलग स्थान व अलग बिस्तर तक देती है, जैसे यह कोई अभिशाप या छुआ छूत की बीमारी हो।

मासिक धर्म से जुड़े अंधविश्वास और मिथक

पीरियड्स के कारण व्यवहार में इतना परिवर्तन बड़ा अजीब सा लगता है। यह कोई छूने से फैलने वाली बीमारी नहीं है बल्कि यह तो उस भगवान की देन है। पता नहीं क्यों आप और हम ऐसे अंधविश्वास को जीवन का हिस्सा क्यों बना रहे हैं।
तो आज हम आपको मासिक धर्म या महावारी से जुड़े कुछ मिथ और फ़ैक्ट्स बताने जा रहे हैं –

मासिक धर्म से जुड़े अंधविश्वास और मिथक

4 पीरियड और अन्धविश्वास

1 # मिथ – ज़्यादा भाग दौड़ या व्यायाम न करना

फ़ैक्ट – मासिक धर्म या महावारी में लड़कियों को दौड़ने भागने, खेलने कूदने, नृत्य करने तथा व्यायाम आदि करने से मना किया जाता है। ताकि उन्हें दर्द कम हो और ज़्यादा आराम मिल सके। जबकि ये सोच बिल्कुल ग़लत है, ज़्यादा आराम करने से शरीर में रक्त का संचार अच्छे से नहीं हो पाता और दर्द भी अधिक महसूस होता है। अगर महावारी या मासिक धर्म के समय आप खेलते कूदते या व्यायाम करते हैं तो इससे आपके शरीर में रक्त और ऑक्सीजन का प्रवाह सुचारु रूप से होता है जिससे पेट में दर्द और ऐंठन जैसी समस्याएं नहीं होती हैं। तो अब पीरियड्स में बिंदास होकर खेलें कूदें और व्यायाम करें।

2 # मिथ – अचार न छूना ख़राब हो जाएगा

फ़ैक्ट – अक्सर पीरियड्स में माँ हमेशा कहती हैं कि अचार को मत छूना बिटिया नहीं तो अचार ख़राब हो जाएगा।
जबकि ये सच नहीं हैं क्योंकि अतिरिक्त सफ़ाई रखने से महावारी के दिनों में लड़की के शरीर या हाथों में जीवाणु, विषाणु या बैक्टीरिया नहीं होते इसलिए भला अचार को छूने से ख़राब कैसे हो जाएगा।

ये सारी बातें अन्धविश्वास और भ्रान्ति हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी हम अपने बच्चों को देते जा रहे हैं। ज़रूरी है कि हम जागरूक बनकर ऐसे अंधविश्वास को यहीं पर रोकें और सच से सबको रूबरू करायें।

3 # मिथ – मंदिर में पूजा मत करना

फ़ैक्ट – महावारी के समय लड़कियों को मंदिर में पूजा करने के लिए मना किया जाता है क्योंकि लोग ऐसा मानते हैं कि इससे भगवान अपवित्र हो जायेंगे। जिस भगवान ने हमें बनाया उसी ने इस संसार को बनाया है और हम मानवों में होने वाली कई क्रियाएँ ईश्वरीय देन हैं। महावारी का अवस्था एक बायोलॉजिक प्रोसेस है। जो न हो तो शादी के बाद दुनिया हर लड़की को बाँझ कहेगी। भला फिर भगवान की यह देन है, भगवान को कैसे अपवित्र कर देगी। इस दुनिया को आगे ले जाने के लिए ही तो ईश्वर ने स्त्री को ये आशीर्वाद दिया है। तो फिर उस अवस्था में भगवान के मन्दिर जाने से भगवान अपवित्र कैसे हो सकते हैं।

4# मिथ – किचन में पाँव मत रखना

फ़ैक्ट – पीरियड्स या महावारी में किचन में नहीं जाना चाहिए क्योंकि इस मन्दिर भगवान के लिए भोग बनता है। यह सोच बिलकुल निराधार है और अन्धविश्वास से भरी हुई है।

पता नहीं किसने इस अंधविश्वास को जन्म दिया और पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ने के लिए इसे वायरस की तरह छोड़ दिया है। अब समय है कि हम स्वयं सजग बनें और वास्तविकता और सच के ज्ञान को अगली पीढ़ी को उपहार के रूप में दें।

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